मंगलवार, 19 जनवरी 2010

चाचा और चाचा का रंगीला अंदाज


बोलो चाचा काले रंग वाले की लेलेले......ले एसे शुरू होता है चाचा का रंगीला अंदाज. चाचा जी के रंगीले अंदाज को बताना व उसे लिखना मुश्किल है पर में कोशिश कररहा हूँ चाचा जी के बारे में मैने आप को काफी कुछ बतया है पर सबकुछ नहीं चाचा जी को हाथ लगाना मतलब काले नाग के सामने डांस करने के बराबर है (मैने काले नाग को इसलिए चुना कियो की चाचा को कला रंग पसंद है) मैने चाचा के पैर पर अपना हाथ रखा तो चाचा जी ने पेहले मना किया और कहा रहने दे कुछ कुछ होता है मैने सोचा ऐसा मैने किया कर दिया की चाचा जी को कुछ कुछ होने लगा मुझे चाचा जी के चरित्र पर शक हुआ मुझे क्या मरी जगह अगर आप होते तो आप को भी होता मेने पूछा किया हुआ चाचा ने काहा गुदगुदी होती है और भी बहुत कुछ होता है  मेने मन में कहा फिर क्या मैने ये बात अपने दोस्त को बताई और मेरे दोस्त ने भी चाचा के पेरो पर हाथ रखना शुरू कर दिया और चाचा से रोहोज मार खाने लगे अब ये आलम है की हमें आदत हो गई और चाचा को मजे आने लगे मगर दिखावे के लिए हम दोनों को मारेंगे जरुर अब आप को धीरे धीरे चाचा जी का चेरित्र समझ में आरहा होगा
एक दिन में और चाचा जी दोनों ट्रेन में बेठे थे की एक सुंदर स्त्री मेरे पास आकर बेठ गई चाचा जी सामने बेठे थे उनको इतना बर्दाश नहीं हुवा की वह मेरे पास कियो बेटी है पर बोल सकते नहीं खली देख सकते है तो मैने कहा आप देखते हुवे ही अछे लगते हो बस चाचा जी को मोका मिल गया मुझे मारने का पर मार सकते नहीं कियो की औरत सामने बेठी है मेने तुरंत कहा लेलेलेलेलेले........... बोलो ना देखा बुढपा जाते जाते भी जोर मर रहा है चाचा जी ने आज उनोहोने काला मफलर पहना था तो बोलो काले रंग वाले की लेलेलेलेलेलेले..........लेलेना...................

शनिवार, 16 जनवरी 2010

२. चाचा जी और काले गुलाब के पौधे

उमीद है आप को हमारे चाचा जी की काहनी और उनका चेरित्र पसंद आया होगा हमारे चाचा जी शकल से शरीफ है  नहीं वेसे चरित्र के भी है पर कभी कभी उनको कुछ कुछ होता है उनको क्या सब को होता है आप को मुझे पर चाचा जी जितना नहीं न मुंकिन चाचा को तो पता नहीं क्या क्या होता है कभी कभी तो मुझे लगता है लगता क्या उनको सच मैं कोई बीमारी है चेलिये चाचा जी की बीमारी के बारे में आप को उनकी आगली कहनी में बेतायंगे. अभी चाचा जी की नई काहनी काले गुलाब का फुल सुनिए .
जैसा की मैंने पिछली काहनी में आप को चाचा जी के घर के पास एक मन्दिर के बारे में बताया था  अरे जहाँ चाचा जी गाव की औरतो का पानी भेर्वाते है  दरसल पानी कम अपनी आँखों को भरते है औरतो को देख कर काली चदर ओढ़ कर चाहे कुछ भी हो जाए चाचा जी काले रंग को नहीं छोड़ेगे किया आप नहीं मानते तो आकर चाचा को घिस  कर देखलो मगर इतना याद रखना वो चाचा है कोई चिराग नहीं की जिन बाहर आजायेगा  चाचा है चाचा और चाचा वो भी ट्रेन वाला कुछ भी बाहर आसकता है कियो की चाचा के साथ कुछ भी हो सकता है   
तो आगे बढ़े उस मन्दिर की देखरेख चाचा जी ही करते है पर एक दिन चाचा जी को मन्दिर के बगीचे के लिए कुछ गुलाब के पौधो की जेरूर्त थी चाचा जी ने गुलाब के पौधो की खोज का अभियान आरम्भ किया चाचा जी की आदत है की वो छोटी छोटी बातो को दिल से लेगा लेते है और टेंशन लेलेते है अब चाचा जी को कई दिनों की खोज के बाद भी पौधे नहीं मिले चाचा जी की पुरानी आदत ट्रेन में पूछने लेगे गुलाब के पौधे मिल जायंगे वो भी किस्से भला कौन मुझसे और मेरी आदत की चाचा जी कुछ बोले मुझे इंतजार रहता है मैंने कहा पौधे किया ट्रेन में खिले है बस चाचा को मारने  का मोका मिल गया और एक थपड मेरे गाल पर अब आप देखिये चाचा जी गुलाब भी कौन से ढूंडरहे थे कोई तो सफेद लाल पीले धुन्ड़ता है  वो काले गुलाब का पौधा ढूंड रहे थे मेने खा की आप को काली चीजे ही क्यों पसंद है सारी काली चीजे ही लेते  हो कुतिया ली वो भी काली गुलाब चाहिए वो भी काले रात को कोई काली वस्तु गम हो गयी तो टोर्च भी काली मांगना वा मेरे काले चाचा और देखिये चाचा ने नए पुराने आते जाते सब को कह  दिया पर सब का एक ही जवाब १०० मैं से ११० बेईमान पर चाचा सब का मेहमान

शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

चाचा ट्रेन वाला



कहानी चाचा ट्रेन वाले की



  • मै और चाचा हम दोनों ट्रेन से आते है हमारे चाचा जी बड़े ही रंगीले है रंगीले का mtlab क्रिपिया gelet न ले आप की इति कृपा होगी

चाचा जी की उम्र ४० से ४२ वेर्ष होगी lekinचाचा जी के दोस्त सारे १८ से ३० वेर्ष के है कोई एक या दो ही उनकी उम्र के है चाचा जी अपने आप मैं एक कोमेडियन है अगर कोई उनसे बात न केरे तो वो बेचेन हो जाते है चाचा जी का जनम एक जनवरी को हुवा था सन का तो मुझे भी नहीं पता है पर aaलोगो को या मुझे सन जान कर क्या करना है क्यों सही कहा ना चाचा जी दीखने मैं थोड़े सावले थोड़े क्या पुरे ही तो सावले है जब भी मैं चाचा को छेड़ता हूँ (नोट :- कृप्या छेड़ने का गलत मतलब ना निकले नहीं तो चाचा जी मुझे पीर से पीटेंगे ) उनकी एक ही प्रतिक्रिया होती है ले लेले जेसे तो सोना चांदी बात रहे हो चाचा जी अपने आप मैं दुनिया के ९ अजूबे है उन्हें कोई लडकी दिख जाय तो वो एसे हो जाते है जसे किसी ने उनके शरीर मैं कर्रेंट छोड़ दिया हो कान बंदर की तरह खड़े हो जाते है और मुह को एसे बाहर की तरफ करते है जसे बंदर करता है । जब हेमने चाचा को चाचा कहेना शुरू किया तो पूरी ट्रेन मैं वो चाचा के नाम से प्रसिद्ध हो गए । तो बोलो चाचा ट्रेन वाले की क्या करना है जय बोल कर चेले आगे । आब चाचा की कथाये आरम्भ की जाय

प्रथम कथा आरम्भ करने से पहले चाचा को याद करे

१ चाचा की काली कुतिया :

हमारे चाचा जी (नराज ना हो आप के भी चाचा है ) ने एक छोटी कुतिया पाली थी वो काली थोड़ी चाचा जेसी (एरे शक्ल से नहीं हेर्केतो से ) क्यों ? यह जानने के कथा आरम्भ करते है । चाचा जी के घर के पास एक नया मन्दिर बन रहा है चाचा जी बताते है वो मन्दिर के कर्ता अथवा संचालक कहते है चलो होंगे हमे क्या करना है हम तो मजे लेने वालो में से है चाचा की हर बात मेंएक कहानी होती है चाचा जी हर रविवार को मन्दिर मैं होते है अगर चाचा ने आप से रविवार को मिलने का वडा किया है तो आप भूल जावो चाचा नहीं आयंगे कियो की गॉव की औरतो का पानी वो ही बेर्वाते है और अगर बारिश हो जाए तो अपने कमरे मैं से उनको देखते है । एक बार चाचा जी ने एक छोटी पर खोटी काली कुतिया पाली नाम कर्ण तो अभी किया नहीं था की एक दुर्घटना घटी साली कुती और किसी के साथ भाग गयी चाचा ने उसे इसलिए पाला था की कोई नहीं दिखेगी तो कुती से काम चेललेगे पर दिल टूटा कुती को और कोई ले भागा कई दिन तो खाना भी नहीं भाया कियोकी कुती ने साथ नहीं निभाया । चाचा ने ट्रेन मैं भी पुछा पर कुती का पता आज तक नहीं चला चाचा का दिल है नाजुक पर कुती को कंहा परवा वो तो फिल्मो की ख्ल्नाइका निकली धोका दे क्र भाग गई क्या करे जात ही इसी है चलो चाचा को समझाया सदमे से भाहर लाया मगर चाचा को अभी भी चेन ना आया काली सुंदर कुती को जो गवाया एब चाचा जी टीक है कभी कभी याद आती है तो शान्ति से ट्रेन मैं बेठ जाती है फिर वो की देर किसी से बाते नहीं करते पर कोई नया वेयक्ति बात करे तो जेवाब जरुर देते है चाचा हो जेसे भी उनके बिना ट्रेन मैं टाइम पास नहीं होता चाचा को जेसे पता चला की मैंने उनके बारे में लिखना आरम्भ किया है तो उन्होंने दो मेरे कान के निचे दिए पर मैं भी धीट हूँ बाज नहीं आऊंगा क्यों की उनसे अछी कानी कोई नहीं दे सकता ।